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अध्याय 40 - अध्ययन में चुनाव

शिक्षा, जीवन के उत्तम कर्तव्यों को करने के लिए, दैहिक, बैहिक, बौद्धिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त करने की तैयारी मात्र है .सहनशीलता की शक्ति तथा मस्तिष्क का बल और क्रियाशीलता के व्यवहार के अनुसार उन्नति व अवनीत होगी. मस्तिष्क को इस प्रकार अनुशसित करना चाहिए कि सारी शक्तियां सुडौल रुप से विकसित हो जाएं. ककेप 226.1

बहुत से नवयुवक पुस्तकों के इच्छुक होते हैं. वे प्रत्येक चीज जो उन्हें प्राप्त होती है उसे पढ़ने की इच्छा रखते हैं. उनका सावधान होना चाहिए कि वे क्या पढ़ने हैं अथवा क्या सुनते हैं.मुझे बताया गया है कि जो युवक अश्लील किताबें पढ़ने हैं वे अपने चरित्र बिगाड़ने के भारी खतरे में हैं. शैतान के पास नवयुवकों में मष्तिष्क को अस्थिर करने के लिए असंख्य साधन में हैं.उन को एक क्षण भी असावधान नहीं रहना चाहिए.उनको अपने मस्तिष्क की चौकसी करनी चाहिए ताकि वह शत्रु के प्रलोभनों में न फंस जाए ककेप 226.2